वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />१९ अगस्त, २०१७<br />अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा<br /><br />प्रसंग:<br />भय बिनु होइ न प्रीति क्यों कह रहे है? तुलसीदास<br />कबीर भी कहते भय पारस हो जीव को इसका क्या आशय है?<br />हम इतना हठी क्यों बन चुके है?<br />प्रीत का क्या अर्थ है?<br />क्या भय होना आवश्यक है?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते